27/09/2022
मस्जिदों में नमाज पढ़े तो दिक्कत
सड़क किनारे नमाज पढ़े तो दिक्कत
घर में नमाज पढ़े तो दिक्कत
दुकान में नमाज पढ़े तो दिक्कत
खाली मैदान में नमाज पढ़े तो दिक्कत
हॉस्पिटल के कोने में नमाज पढ़े तो दिक्कत
ट्रेन में नमाज पढ़े तो दिक्कत
अब मदरसों में नमाज पढ़े तो भी दिक्कत
अब सवाल ये हैं नमाज हम पढ़ रहें हैं और तकलीफ वालों को क्यों? मुसलमानों पर होते हमले पर सरकारें तो कुछ कर नही रही तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट संज्ञान क्यों नही ले रहा?
Akbaruddin Owaisi
26/09/2022
मुसलमानों के हर मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया, मुसलमानों पर हो रहे हर अत्याचार का विरोध किया PFI, चाहे ज़ाकिर नाईक साहब पर दमन का मामला हो या असद ओवैसी का मामला, सबके साथ खड़ी रही PFI
25/09/2022
हक़ और बातिल में जब भी बात आ जाए तो हक़ पर डट जाना।
मैं PFI के साथ खड़ा हूं।
हुक्मरान को गरीब मुसलमान पढ़ते हुए नहीं देखना है।
अदालतों में वकीलों कि फौज से डर लगने लगा है।
इन्हें कौन संगठित किया ?
न धर्म देखा न जात कोरोनो हो या बाढ़ गरीबों के मददगार बने।
अपनी संस्कृति बचाने के लिए कर्नाटक में हिजाब बैन कि कानून लड़ाई लड़े।
गरीब या जरुरतमंद मुस्लिम बच्चों को छात्रवृत्ति से लेकर फ्री ट्यूशन तक मुहैया कराया।
उत्तर भारत में इसकी पहूंच बहुत तेजी से बढ़ रही थी।
नोट:- समस्या PFI में यदि थी तो PFI आज से है नहीं 2006 से वजूद में आ गई थी। मुस्लिम जमात को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक एतबार से भारत में बराबर का हिस्सेदार बनाने के मकसद से वजूद में आई।
यदि यही लोग चंदा खाकर, पेंशन, तनख्वाह पाकर, बाहरी जकात का फंडिंग घटकर पी जाते और महान रानी एलिजाबेथ द्वितीय के गुलामों को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित कर रहे होते तो शायद आज नक्शा ही कुछ अलग होता।
खैर इतनी बड़ी संस्था पर हाथ मारा है तो एजेंसियां pfi को साफ सुथरा करने के लिए नहीं छापा मारी हैं।
13/05/2022
अभी हाल ही में👉 #ज्ञानवापी मस्जिद का मामला गरमाया था जहां बीते शुक्रवार को पुलिस और जांच एजेंसियां पहुंची लेकिन इस बार वहां पहले से अधिक तादाद में 👉मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज़ के लिए पहुंच गए थे
और पुर ज़ोर विरोध किया पुलिस को वहां से बेरंग लौटना पड़ा👉 मुस्लिम समुदाय की एकता को देखते हुए फिर 👉ताजमहल का एजेंडा मीडिया के माध्यम से चलाया गया जिसमें कोम के कुछ👉 दलालों ने डिबेट माध्यम से हिस्सा लिया बस फिर क्या👉 हमारी कोम के जज्बाती युवा पागल हो गए ये भूल गए कि ताजमहल एक अजूबा है गिनीज़ बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है और भारत सरकार को आर्थिक मदद करता है वो असली मुद्दे ज्ञानवापी मस्जिद को भूल गए
👉हमारा मकसद #ज्ञानवापी मस्जिद है✊🏴
05/02/2022
मुसलमानो से नफ़रत के चक्कर मे ये अच्छा बुरा सब भूल गए
हुनूद तो जैसे मॉडर्न ईसाईयत की राह पर है
अगर कोई नंगी घूमे आजाद देश हर किसी को आज़ादी है स्कूल कॉलेज में चलता हैं
कोई अपने जिस्म की नुमाइश ना करे तो कहते है ये कोई धार्मिक स्थल नहीं है
हिंदुस्तान के अन्दर स्कूल कॉलेज युनिवर्सटी को शिक्षा का मंदिर कहा जाता था
आजकल तो ये वैश्या खाने के जैसे हो रहें हैं
डांस मुजरा फुल आशिक़ी बाजी /आशिक़ी बाजी तक तो चलता है एक दफा को अब तो सीधा जिन्हा खोरी हो रही है
अगर कोई अपनी इज्जत को लोगो कि गन्दी निगाहों से बचाएं हिजाब मे आए तो) स्कूल कॉलेज में जगह ही नहीं
बाकी पूजा आर्ती हिन्दू राष्ट्र के लिए वगैरह सब करवाते हैं स्कूल में.
दिक्कत हिजाब से नही मुस्लिमो से है
वर्ना मास्क लगा कर भी आ रहे हैं छात्र छात्रों से लेकर स्कूल टीचर तक
13/12/2021
आज चीन Nanking Massacre Memorial Day मना रहा है, इस मौक़े पर आपको बता दूँ के 1937 के नानजिंग नरसंहार में जापानी फ़ौज ने बड़ी संख्या में चीनी मुस्लिमों का क़त्ल ए आम किया था, और इसी के साथ वहाँ के कई हिस्सों पर उसका क़ब्ज़ा हो गया था। 1939 में अपनी ग़लती को सुधारने के लिए जापान ने कुछ चीनी मुस्लिमों को हज करने के लिए भेजा था, ताके मुस्लिम दुनिया से समर्थन हासिल किया जा सके।
इसके विपरीत चीनी के मुस्लिम छात्रों ने, जो क़ाहिरा के अल अज़हर यूनिवर्सिटी में पढ़ने गए थे; ने सक्रिय रूप से चीनी काउंटरप्रोपेगैंडा का प्रसार करना शुरू कर दिया, जो मुस्लिम दुनिया के समर्थन को जीतने के जापानी प्रयासों को नाकाम करने के लिए काम कर रहा था।
जापानी प्रायोजित चीनी मुस्लिमों का एक समूह 1939 में हज करने हेजाज़ गया तो उसके विरोध में राष्ट्रवादी चीनीयों ने हाजियों का दो समूह हेजाज़ भेज दिया। मतलब चीनी मुसलमानों के तीन समूह हज यात्रा पर हेजाज़ गए। उनमें से दो ने चीन गणराज्य का प्रतिनिधित्व किया, जबकि एक ने जापानी कब्ज़े वाले उत्तरी चीन में कठपुतली सरकार का प्रतिनिधित्व किया।
चीन गणराज्य की तरफ़ से इन मिशनों में भाग लेने वाले चीनी मुसलमान केवल चीनी अधिकारियों के मोहरे नहीं थे। बल्कि, चीनी मुसलमानों ने सक्रिय रूप से इन मिशनों का इस्तेमाल चीनी राष्ट्र की दृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए किया, जिस वजह कर मुसलमानो को घरेलू और विदेशी मामलों में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौक़ा मिला।
इसे आप इस तरह समझ सकते हैं जब 1931 में जापान ने मंचूरिया पर हमला किया; तब चीन की हुकुमत ने मुस्लिम मुल्क से अपने तालुक़ात को बेहतर करने की नियत से कई मुस्लिम लड़कों को क़ाहिरा के अल अज़हर यूनिवर्सिटी में पढ़ने भेजा, ये शुरुआती दौर था जब इस्लामिक शिक्षा के लिए सरकार ने मुस्लिम लड़कों स्पोंसर किया और अरब देश भेजा था! अरब भेजने की वजह उस्मानी सल्तनत का ज़वाल था, वर्ना 1899 के बॉक्सर विद्रोह में उस्मानी सल्तनत का भी एक छोटा सा रोल था।
1931 में मुहम्मद मा जियाँन क़ाहिरा के अल अज़हर यूनिवर्सिटी में पढ़ने गए, वहाँ उन्होंने पढ़ाई के साथ अरबी लोगों से अपने तालुक़ात बढ़ाए, ताके जब ज़रूरत आए तो उसका उपयोग किया जा सके। 1939 में उन्हें ये मौक़ा मिला, जब मुहम्मद मा जियाँन 27 अन्य छात्रों के साथ एक हज प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बन कर हेजाज़ गए, और इब्न सऊद से मिल कर चीन गणराज्य का पक्ष रखा।
असल में हम जिस समय के इतिहास की बात कर रहे हैं, उस समय चीन में बहुत उथल पुथल है, वो आज का चीन नही है, बहुत अराजकता था, अलग अलग इलाक़ों में अलग अलग वॉरलॉर्ड ने क़ब्ज़ा कर रखा था, इसमें कई बड़े वॉरलॉर्ड मुस्लिम थे। जो चीन के बड़े वफ़ादार थे, इनका चीन में बहुत असर था। जिसका एक उदाहरण आप बॉक्सर विद्रोह के दौरान Gansu Braves के रूप में देख सकते हैं, जो के एक मुस्लिम रेजिमेंट थी; जिसने बाग़ियों के साथ मिल कर एट अलाइयन्स के विरुद्ध लोहा लिया था, जिससे परेशान हो कर जर्मनी के क़ैसर ने उस्मानी सुल्तान अब्दुल हमीद से मदद माँगी थी।
वैसे चीन का बॉक्सर विद्रोह ख़ुद में अजीब था। एक तरफ़ चीन के राष्ट्रवादी बॉक्सर विद्रोही जिन्हे बाद में विदेशी फ़ौज से लड़ने के लिए राजघराने का भी समर्थन मिला, और साथ ही दस हज़ार कांसु योद्धाओं की टुकड़ी। उनके सामने 8 मुल्क की फ़ौज थी, और वो मुल्क हैं जापान, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया-हंगरी, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका। चीन के इस विद्रोह को कुचल दिया गया था।
वैसे चार सौ साला किंग वंश की हुकूमत में चीन में कई दर्जन खूनी बग़ावत हुवे हैं, कई को करने और कई को कुचलने में मुस्लिम वॉर लॉर्ड का पुराना इतिहास रहा है। ये हमेशा सत्ता के इर्द गिर्द रहे; ख़ास कर डिफ़ेंस के मामले में।
उपर जिस मुहम्मद मा जियाँन का ज़िक्र मैने किया है, उन्होंने क़ुरान शरीफ़ का तजुर्बा चीनी ज़ुबान में किया है, इसके इलावा इस्लामी किताबों तर्जुमा भी किया। साथ ही कन्फ्यूशियस कार्यों का अरबी में तर्जुमा भी किया। उन्होंने मार्क्सवादी और इस्लामी विचारधारा के बीच अनुकूलता पर ज़ोर देने का काम किया। इसका फ़ायदा चीन के मुस्लिमों को हुआ भी। जैसे निंग्ज़िया को 1958 में गांसु से अलग कर दिया गया और हुई मुस्लिम लोगों के लिए एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में गठित किया गया। बॉक्सर विद्रोह में हिस्सा लेने वाले कांसु योद्धाओं की टुकड़ी इसी इलाक़े को रीप्रिज़ेंट करती है।
नोट :- चीनी भाषा में Ma का मतलब Muhammad होता है, जैसे हम बिहारी लोग Md का मतलब Muhammad समझ लेते हैं।
Md Umar Ashraf
05/12/2021
6 दिसंबर 1992 ई0, जम्हूरियत के मुंह पर इंतिहापसंदो का तमाचा।
जब इस सेक्युलर मुल्क में एक जीती जागती मज़हबे इस्लाम की अमानत और अल्लाह अज्जावजल की सजदगाह बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया वो यही दिन था जिसके बारे में इस देश के मजलूम मुसलमान आज कहते नजर आते हैं की जो त्रिशूल बाबरी मस्जिद के गुम्बद पर चली वो बाबरी पर नहीं मुसलमानों के सीने पर चली है।
ये वही दिन था जिसने इस गंगा जमुनी तहजीब के नारे वाली मुल्क में इस तहज़ीब की धज्जियां उड़ा दी थी। दिल पर जो वार किया गया उसका ज़ख़्म आज भी हरा है और जबतक बाबरी मस्जिद को इस मुल्क की अदालते आलिया (Supreme Court) से इंसाफ नहीं मिल जायेगा तब तक दिल खून के आंसू रोता रहेगा। जब भी 6 दिसम्बर आता है दिल यही आवाज़ देता है की बाबरी हम शर्मिंदा हैं, क्योंकि तेरे कातिल अभी भी ज़िंदा हैं।
काला दिवस और ये दागदार घटना इस मुल्क की सेक्युलरिज्म पर एक सियाह धब्बा है, इंसानियत का एक घिनौना चेहरा और खौफनाक रूप है जिसे सोच कर भी इंसानियत की रूह कांप उठती है।
9 नवम्बर 2019 को एक फैसला आया, मस्जिद की सारी सबूत पर कोर्ट ने सच का मुहर लगाया और कहा की मस्जिद थी वहां और मंदिर नहीं थी ये साबित हुआ, लेकिन इस देश में आपसी सौहार्द ना बिगड़े इसलिए वहां मन्दिर बनाया जाना चाहिए ताकि माहौल खराब ना हो।
खैर ये अदालत की अपनी समझ और वक्त की जरूरत थी चाहे जो कारण हो फैसला तो आ गया और राम जन्म भूमि प्रूव ना होते हुए भी राम मन्दिर बनाया जाने लगा।
अक्सरियत की ताक़त के बिना पर अकलियत के जज़्बात और हकीकत का मज़ाक बनाया गया और जम्हूरियत की इस्मत को तार तार कर दिया गया।
दिल तो दुखा लेकिन दर्द किससे बयां किया जाए। बस लिखना और बोलना दर्दमंदो ने छोड़ा नहीं।
बरगे हिना पर लिखता हूं मैं दर्दे दिल की बात।
शायद के रफ्ता रफ्ता लगे दिलरुबा के हाथ।।
इंसाफपसंदो ने आज भी इंसाफ़ की उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और न कभी भूला जा सकता है। रिबिल्ट बाबरी तक ये संघर्ष और ये उम्मीद क़ायम रहेगी इंशा अल्लाह।
ये तो अब तक ज़ख्म बना हुआ ही था की एक और वार होने की खबर मीडिया के थ्रू फैल रही की हिंदू महासभा ने ऐलान किया है की 9 दिसम्बर को मथुरा की जामा मस्जिद (ज्ञानवापी मस्जिद) को श्री कृष्ण जी के जन्मभूमि के नाम पर शहीद (डिमोलिश) करने फ़ैसला किया है। मथुरा में धारा 144 लगा हुआ है। इलेक्शन जीतने और बहुसंख्यक को खुश करने के लिए नफ़रत की सरकारों ने ये हथकंडा आज़ादी के बाद से जो अपनाया है वो इस मुल्क की नस्लें को तबाह करने का फॉर्मूला पेश हुआ है। बात सिर्फ प्रेजेंट गवर्नमेंट की नहीं, बल्कि जिस गवर्नमेंट ने जब मौक़ा देखा इस मुल्क की आवाम को नफरत के हवाले कर के अपनी घिनौनी सियासी रोटी सेंकती नज़र आई।
कहा जाता है ना जब जागो तब सवेरा। अब इस मुल्क में सियासत का मूड चेंज नहीं होगा, जनता को ही इस नफ़रत के खिलाफ़ और नफरती सियासत के खिलाफ़ आवाज़ उठानी होगी। क्योंकि सारी पार्टी सेम ट्रैक पर चल रही है।
बस आखरी में यही पैग़ाम है फिरौन जैसे नफरती सियासतदानों के लिए.....
लश्कर भी तुम्हारा है सरदार भी तुम्हारा है।
तुम झूठ को सच लिख दो अख़बार भी तुम्हारा है..।।
खूने मजलूम ज़्यादा नही बहने वाला।
ज़ुल्म का दौर बहुत दिन नहीं रहने वाला..।।
इन अंधेरो का जिगर चीर के नूर आएगा।
तुम हो फिरऔन तो मूसा भी जरूर आएगा..।।
Muhammad Shahid Khan
SDPI uttar pardesh
05/12/2021
जब तक दुनिया रहेगी हम बाबरी मस्जिद के शहादत का जिक्र करते रहेंगे
03/12/2021
आपने क्या सोच रखा था यह मामला सिर्फ़ बाबरी मस्जिद तक रुकेगा, थमेगा। यह मसला अव्वल दिन से इस्लाम VS कुफ़्र का रहा है। यह तय है की मुशरिक कहीं का भी हो वो टकराएगा इस्लाम से ऐसे ही जैसे रसूल (सअव) के दौर मेँ टकराया था पर मुशरिक का अंजाम भी तय है इंशाअल्लाह 🙂
03/12/2021
आपने क्या सोच रखा था यह मामला सिर्फ़ बाबरी मस्जिद तक रुकेगा, थमेगा। यह मसला अव्वल दिन से इस्लाम VS कुफ़्र का रहा है। यह तय है की मुशरिक कहीं का भी हो वो टकराएगा इस्लाम से ऐसे ही जैसे रसूल (सअव) के दौर मेँ टकराया था पर मुशरिक का अंजाम भी तय है इंशाअल्लाह 🙂
01/12/2021
EGYPT OPENS PHARAONIC "RAMS ROAD" AT KARNAK TEMPLE: CELEBRATES "OPET FESTIVAL"
शुक्रवार को मिस्र के वैली ऑफ किंग्स, लक्ज़र मे 5,000 साल पूराने फेरऔनीक ओपेट त्यौहार (Opet Festival) का एक भव्य समारोह कर प्रदर्शन किया गया।
ओपेट त्यौहार 5,000 साल पुराने कार्नक मंदिर (Karnak Temple) जो मिस्र के प्राचीन सूर्य भगवान अमून-रा को समर्पित है के 3 किलो मीटर लम्बे "राम रोड" मे मनाया गया।इस राम रोड मे हजारो मूर्ती (Sphixes) हैं।
प्राचीन मिस्र मे राम को सूरज भगवान का अवतार माना जाता था। यह रोड भगवान राम के नाम पर है जो उस समय के वहॉ के तीन पवित्र त्रिमूर्ति भगवान अमून-रा (Amun-Ra), मूत (Mut) और खोंसू (Khonsu) के तीन मंदिरों को जोड़ती है। इस पोड को "भगवान का रोड (Path of God)" भी कहा जाता था।
लक्ज़र शहर नील नदी के किनारे बसा फेरऔन का प्राचीन मशहूर शहर है जिस को आज दुनिया का सब से बडा ओपेन मयूज़ियम कहा जाता है। हर साल पूरी दुनिया से लाखों पर्यटक यहॉ मिस्र के 5,000-7,000 साल पूरानी सभ्यता, मंदिर, भगवान, देवी, देवता तथा पिरामिड देखने आते हैं।
मिस्र को हर सार टूरिज़म और टूरिस्ट से $13 billion विदेशी मुद्रा आता है जो मिस्र के GDP का 10% है और यह 20 लाख लोगों को रोज़गार देता है।मिस्र के स्यूज कनाल से दुनिया का 13% सामान की ढोलाई होती है।
#पहली तस्वीर 3 km लम्बे राम रोड की है जो रौशनी और लेज़र से जगमगा रही है।
#दूसरी तस्वीर मंदिरों के पुजारी धोती और जनेऊ पहने भगवान के दर्शन को जाते हुऐ।
#तीसरी तस्वीर कार्नक मंदिर के तालाब मे फेरऔनीक औरतो के लेबास मे नाचते हुऐ शुक्रवार के समारोह एक ऐतिहासिक फोटोग्राफी है।
#चौथी फेरऔन के भगवा कपड़े मे नाचते हुए औरतो के मंदिर जाते जलूस की तस्वीर है।
21/11/2021
मथुरा : 6 दिसम्बर को शाही ईदगाह पर करेंगे बाल गोपाल का जलाभिषेक : राज्यश्री
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष व सुभाष चंद्र बॉस की पड़पोती ने किया एलान
मथुरा। छह दिसम्बर को भगवान श्री कृष्ण के वास्तविक जन्म स्थान (शाही ईदगाह) पर हम बालगोपाल का जलाभिषेक करेंगे। इसके लिए देश की विभिन्न नदियों का जल लेकर आएंगे। इस कार्यक्रम में पूरे देश के लोग एकत्रित होंगे। यह ऐलान अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष व स्वतंत्रा सेनानी सुभाष चंद्र बॉस की पड़पोती राज्यश्री चौधरी ने प्रेस वार्ता में किया। उन्होंने सभी पत्रकार बन्धुओ को जानकारी देते हुए बताया कि इसकी जानकारी गृह मंत्रालय को भी दे दी गई है। पहले भी मालूम हो कि छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहा दिया गया था।
डैम्पियर नगर स्थित विद्यालय में पत्रकार वार्ता में राज्यश्री ने कहा कि बाल गोपाल के जलभिषेक के लिए हम देश की विभिन्न नदियों का जल रहे हैं और हमारी इच्छा है एक मंदिर स्थापित हो। संगठन से गुजरात के अध्यक्ष संबित पटेल ने सोमनाथ मंदिर से जाकर जल ले लिया है।
विवादित स्थल पर जबाब देते हुए कहा कि वहाँ प्रवेश करने में कोई दिक्कत नहीं होगी क्यों कि भगवान श्रीकृष्ण का है। इस संबंध में 12 नवंबर को ही गृह मंत्रालय को सूचित कर दिया गया है। उन्होंने ये भी बताया कि जलभिषेक में कितने भी लोग हो सकते है।
संगठन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में मथुरा के न्यायालय में दावा कर चुके है कि शाही ईदगाह की जमीन श्री कृष्णभूमि ट्रस्ट की है। मामले में सुनवाई चल रही है। राज्यश्री ने दावा किया सीएम कह चुके है कि कार सेवकों पर पुष्प वर्षा होगी। कोर्ट पर भरोसे के मामले में कहा कि अयोध्या में फैसला काफी देरी से मिला, हम श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में इंतजार नहीं कर सकते है।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की जिलाध्यक्ष छाया गौतम का कहना है कि शाही ईदगाह का दरवाजा ही कृष्ण गर्भगृह का मुख्य द्वार है व जिला मीडिया प्रभारी रजत शर्मा का कहना है कि इस विवाद में हिंदुओं को कोर्ट व सरकार द्वारा जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए।
Nadeem Ahmad
19/11/2021
CAA प्रोटेस्ट के दौरान भी कई मौतें हुईं, महीनों बहनों ने देश भर में धरना दिया, दर्जनों नौजवान अब भी जेलों में बंद हैं। देश के मुसलमान,किसान, दलित,आदिवासी भी CAA क़ानून का विरोध करते रहे हैं इसलिए सरकार को अब इसे भी वापस लेना चाहिए और प्रदर्शनकारियों को रिहा करने चाहिए।
15/11/2021
WE INDIANS CAN'T IGNORE GODS & GODESSES OF EGYPT: IS HINDUTVA IN DANGER NOW?
हम दो साल से मिस्री भगवान, देवी, देवताओं और सभ्यता पर लिख रहे हैं और अब यह 'हिन्दुस्तान अखबार' भगवान शिव और देवी सेकमेत का क़ब्र भी निकाल लिया।
मिस्र के 5,000-7,000 साल पूराने मंदिरों मे आज भी शिव जी और उन की पत्नी सेकमेत जो मिस्र के सब से बडे भगवान और देवी थे उन की मूर्ती और तस्वीर है।मगर यह हिन्दुस्तान अखबार 367-366 ईसा पूर्व लिख रहा है और क़ब्र निकाल दिया!
इराक़ मे इब्राहिम अलैहिसल्लाम के वालिद बहुत बडे मूर्तीकार थे।मगर वहॉ उस समय जो पुरूष बहुत ताक़तवर, या बडा राजा या बहुत गुणी होता था वह भी भगवान हो जाता था और पूजे जाते थे।अरब के ज्यादा तर देवी या देवता इसी तरह के थे मगर मिस्र की सभ्यता मे सूरज देवता और समुंदर मंथन से भगवान शिव जी निकले थे।शिव की पत्नी सेकमेत से दो औलाद हुई और भगवान का यह सिलसिला चलता रहा।
अभी तो जर्मन शोधकर्ता ने अरब मे शोध शुरू किया है और पोप फ़्रांसिस ने मेसोपोटामिया जा कर एक नये शोध को जन्म दे जिया है।कितना दिन हम लोग मिस्री और अरब के भगवान, देवी, देवताओं की बात लोगों से छुपा कर रखे गें।कुछ दिन ठहर जाईं और 10-20 पिरामिड खूलने दिजये, फिर यह लोग घर वापसी की बात नही करे गें।
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आजकल कहा जाता है कि राहूल गॉधी मुस्लिम हैं और भारतीय मुस्लिम के पूर्वज हिन्दु थे मगर मिस्र के पिरामिड के भगवान, मेसोपोटामिया, अरब और सिंधु घाटी के शोध को पढ कर पता चल रहा है कि हिन्दु खूद विदेशी हैं।
दो दिन से झूठा इतिहास गढ़ा जा रहा है कि चंद्रगुप्त मौर्य जो जैन धर्म मानते थे, उस ने ग्रीस के सिकंदर को हराया था। मगर यह कोई नही बोल रहा है कि भारत मे पहली "विदेशी बहू" शुद्र कहे जाने वाले चंद्रगुप्त की पत्नी या अशोक की दादी या मॉ सिकंदर के जेनरल की बहन या बेटी थीं।फिर बाद मे हजारो साल जो मुठ्ठी भर आक्रमणकारी भारत आये वह शहजादा सलीम जोगी के अब्बा जान थे।
#नोट: कृप्या निवेदन है कि भारतीय तथाकथित धर्म-गुरू, विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक और नेता लोग सैकडो साल से झूठा इतिहास गढ़ना बंद करें। यह Information Age है, पिरामिड खूल रहा है, अरब पेनंसूला मे जर्मन शोध सामने आ रहा है, ऐसा न हो हिन्दुत्वा ख़तरे मे आ जाये।
सीमाब जमां सर✍
10/11/2021
इक्कीस साल के अल्ताफ़ पर प्रेम प्रसंग में लड़की भगाने का आरोप लगा. उसे कासगंज थाने ले जाया गया. जहां 24 घंटे में ही इसकी मौत हो गई. कासगंज के SP का कहना है कि लड़के ने खुद ही बाथरूम की टौंटी(नल) से लटककर आत्महत्या कर ली है.
थाने के बाथरूम में कौन सी टौंटी इतनी ऊँचाई पर लगी होती है कि उससे लटक कर कोई जान दे देता है? वो भी अपनी जैकेट के नाड़े से लटककर? जैसा कि SP का कहना है
ये सरासर हत्या है और ये कहने में डर नहीं लगना चाहिए. अल्ताफ़ के घरवालों को न्याय मिलना चाहिए।
09/11/2021
मैंने खुद से जब पूछा आज क्यूँ उदास मंज़र है
दिल ये चीख़ कर बोला आज " 9 नवम्बर " है
रंजन गोगोई ने आज के ही दिन इंसाफ़ की कुर्सी पर बैठकर हमारी मस्जिद के साथ नाइंसाफी किया था रंजन गोगोई जब भी तेरा इतिहास लिखा जाएगा तुझे भाजपा का दलाल कहा जाएगा!
बाबरी तू जिंदा है, तू जिंदा है तू जिंदा रहेगा!
07/11/2021
#तीन_सौ_तेरह
👇🧘👇
कल कुछ लोग बैठे थे दुनिया दारी की बातें होने लगीं। #फिलिस्तीन का जिक्र आया #मुसलमानों के #लिंचिंग की बात आई तो एक साहेब बोले एक जमाना था जब हम तीन सौ तेरह थे
और हजारों को हरा दिए थे आज करोड़ों हैं मगर फिर भी मारे जा रहे हैं।
मैं बोला भाई साहब उस समय तीन सौ तेरह मुसलमान थे मुझे तो लगता है आज तीन सौ तेरह मुसलमान भी नहीं हैं।
आज जो करोड़ों हैं वो अपने आपको मुस्लिम कहां मानते हैं, वो तो खुद को कट्टर #सुन्नी, कट्टर #वहाबी, कट्टर #शिया, कट्टर #अहले_हदीस मानते हैं।
आज लोगों का अपना नाम बताओ तो पहले आपका फिरका जानने की कोशिश करते हैं फिर आपसे संबंध कैसे रखना है ये तय करते हैं।
मैंने बहुत से लोगों से सुना है कि नमाज तो पढ़ना चाहता हूं
मगर सिर्फ इसलिए नमाज नहीं पढ़ता कि यहां दूसरे फिरके की मस्जिद है और मेरा यहां दिल नहीं भरता।
मैं बोला भाई साहब जिस दिन फिर तीन सौ तेरह सच्चे मुसलमान हो जाएंगे इन शा अल्लाह हम फिर जीतेंगे।
07/11/2021
नाइंसाफी की शिकार #बाबरी मस्जिद.
ناانصافی کی شکار #بابری مسجد
पॉपुलर फ्रंट फेसबुक और यूट्यूब पेज पर लाइव देखें। 𝟗 नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟏 - शाम 𝟔.𝟑𝟎 बजे
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05/11/2021
अल्लाह के रसूल ने सहाबाओ पर कुराने करीम के हिसाब से मेहनत करी थी, नतिजा हिजाज के बङे हिस्से पर और यमन शाम इराक के कुछ हिस्सों पर बस हिजरत के बाद 13 साल में अल्लाह का निजाम(कुरान का संविधान) लागू होचुका था, वैसे मौलाना इल्यास साहब ने शुरुआत में इसि मौजू पर जमात की शुरुआत करी थी, मगर बाद में जमात में कुराने करीम के तर्जुमे तफ्सीर को समझने से जमात के जुम्मेदारो ने आम मुसलमानों को रोक दिया, बल्कि यह अफवाह भी फैलाई गई के कुरान को समझोगे तो गुमराह होजाओगे, नतिजा 95 साल में 20%मुसलमान नमाजी तो बन गए पर, कुरान की रोशनी से अपने मुर्दा दिलों को जिन्दा नहीं कर पाएँ, और आज यह कौम बुझदिल नमाजी बन गई हैं, जो नाकुछ अंधभक्तो से जूते खा रहीहै, जिसे जिहाद के नाम से डर लगता हैं, यह कौम वतन परस्ती में इतनी पागल होचुकी हैं, के अपनी बहन बैटिया काफिरो के साथ भाग रहीहै, पर इस कौम को सिर्फ यह फिक्र है के अगला इस्तेमा कहाँ आ रहाहै,
अल्लाहु अकबर, अगर तब्लीग जमात में कुरान की तफ्सीर तर्जुमे को सभी मुसलमानों को समझने की इजाजत दी होती, और जिहाद जो इस्लाम मे फर्जे ऐन हैं और खिलाफत के बारे सही से समझाया होता, तो हिन्द के मुसलमान हिन्द पर ही नहीं पूरी दुनिया में तौहीद का परचम लहरा देते, और खिलाफत मिन्हज नबुवत का आगाज हिन्द से कब का होगया होता ।
05/11/2021
ये धर्मयुद्ध ही है जो पुलिस वाले अपना ईमान खो बैठे हैं।
त्रिपुरा.....
देलही बेस्ड वकील अंसार इंदौरी और उनके मित्र वकील मुकेश को UAPA का नोटिस भेज दिया गया है।
बस इनकी गलती इतनी सी है की मासूमों और मजलूमों का साथ देते हुए इन लोगों ने सबूतों के साथ सोसियल मीडिया से शुरु करते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को प्रेसकांफ्रेंस कर सबूत पेश कर दिए।
की इन दंगों में सरकार और सरकारी तंत्र सीधे इंनवाल हैं।
खैर जाने दो ये आज पहली बार नही हो रहा राज्यविद्रोह कानून का इस्तेमाल कांग्रेस ने भी बखूबी किया है, और इन कानूनों को सिर्फ चार लोगों पर लागू किया गया है।
1. मुस्लिम 2. सिख 3. अनुसूचित और 4. जनजाति
इनमें एक खास बात की सामानता है..... चारों का शोषक एक ही रहा है इतिहास में और आज भी।
अपने बुजुर्ग पहले कहते थे पढ़लिखकर लड़ाई लड़ो उससे तुम्हें न्याय मिलेगा, तुम्हारे सामाज को बचाने के लिए एक अच्छा वकील होना चाहिए।
Advocate shahid azmi याद हैं ?
बुजुर्गों की ये भी सलह बेकार साबित हो रही है।
31/10/2021
#सिख_नरसंहार 31-10 -1984
ये वो 3 चेहरे हैं जिन्होंने अपने जाति समाज के लोगों को ऊपर रखने और कुर्सी के लिए भारत को धर्म की गंदी राजनीति में ढकेल दिया लाखों-करोड़ों लोगों का जान ले लिया
31 अक्टूबर से शुरू होता है 4 नवंबर तक सिखों का नरसंहार किया जाता है सिख दंगा 1984 दिल्ली
ऐसे मौके बार-बार नहीं आते हैं साल में सिर्फ एक बार आते हैं और ऐसे मौके को हाथ से बिल्कुल नहीं गंवाना चाहिए इनके अनुपाई लोग जो इन्हें हीरो बनाकर पेश करते हैं उनके चेहरे से दोगले पन का नकाब नोच कर बताना चाहिए कि इनसे बड़ा दंगाई भारत में कोई नहीं था
29/10/2021
😢 ौम_के_गुनाहगार_हर_तरफ़_बेशुमार 😢
👉 आज हिंदुस्तानी मुसलमानों की नाकामी तमाम दायरे तोड़ते हुए इर्तिदाद तक पहुंच गई है, लेकिन इस नाकामी में किसी एक का हाथ नहीं है बल्कि हम दीन और दुनिया के हर मोर्चे पर नाकाम हैं और आज हमारी हालत समन्दर के उन झागों जैसी है जिनको हर तरफ़ से आने वाली कोई भी लहर अपने साथ बहा कर ले जाती है.. आइये आज एक एक कर के क़ौम के तमाम गुनाहगारों पर नज़र डालते हैं
✍️ #अदाकार_और_गवय्ये - अदाकारी और गायकी में मौजूद ज़्यादातर नाम निहाद मुसलमान क़ौम को सिरातल मुस्तक़ीम से दूर करने में सबसे बड़ा किरदार निभाते हैं, इनके ज़्यादातर अमल दीन के ख़िलाफ़ होते हैं और ये लोग कभी भी अपनी शोहरत दौलत से क़ौम को कोई फ़ायदा नहीं पहुँचाते बल्कि इनके ज़ाती जुर्मों का इस्तेमाल पूरी क़ौम को बदनाम करने में किया जाता है, इनके हर काम का मक़सद अपने ज़ाती फ़ायदे होते हैं, और ये वक़्त वक़्त पर दीन में ख़ामियाँ निकालने और बिगाड़ पैदा करने से भी बाज़ नहीं आते लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि क़ौम की एक बेहद बड़ी तादाद इनको अपना आईडियल बनाये बैठी है और ज़्यादातर नौजवान इनके उर्दू नाम की वजह से इनको सच्चा मुसलमान समझ कर इनके जैसा बन जाने में लगे हैं जबकि अल्लाह ने आमाल पर फ़ैसले करने का वादा किया है नाम और लिबासों पर नहीं
✍️ #नौजवान- दुनिया की किसी भी क़ौम की कामयाबी और नाकामी उस क़ौम के नौजवानों की कामयाबी और नाकामी का का अक्स होती है, लेकिन ये बेहद अफ़सोस का मकाम है कि जिन मुस्लिम नौजवानों को क़ौम का बोझ अपने काँधों पर उठा लेना चाहिए था उनमें से 80 फ़ीसद नौजवान ख़ुद क़ौम पर बोझ बने हुए हैं, और उनकी गुमराही का आलम ये है कि उनको दुनिया में आने, और ज़िन्दगी जीने का मक़सद भी नहीं पता होता है.. जिस क़ौम के नबी को रहमतुल आलमीन बना कर भेज गया और उनकी उम्मत को अल्लाह ने बहतरीन उम्मत बताया आज उस उम्मत के ज़्यादातर नौजवानों को देख कर लगता है कि जैसे ये दुनिया में बेहयाई, नशा, बेईमानी, झूठ फ़रेब और आवारागर्दी करने के लिए ही पैदा हुए हैं.. और ऊपर से उनकी शिकायत ये है कि दुनिया उन से मुसलमान होने की वजह से ज़्यादती करती है
✍️ #दानिशवर_और_क़लमकार- जिस क़ौम के पास अच्छे दानिशवर और क़लमकार नहीं होते वो क़ौम गुमराही को ही अपनी मंज़िल का रास्ता समझ रही होती है और बेशक हिंदुस्तानी मुसलमान इस मामले में बदनसीब हैं कि उनके पास न अच्छे दानिशवर हैं और न सच्चे क़लमकार इसलिए आज कुछ सियासी लोगों और पार्टियों की मुख़ालिफ़त पर इनके लिखने को ही क़ौम की ख़िदमत समझा जा रहा है, आप देखेंगे तो पाएंगे कि आज के दानिशवर और क़लमकार सिर्फ़ क़ौम की परेशानियों का रोना रोते मिलेंगे या किसने क़ौम के ख़िलाफ़ क्या साजिश की ये बताते मिलेंगे जबकि उनका काम होना चाहिए था कि वो क़ौम को उन परेशानियों और साजिशों का हल मुहैय्या कराते और अपनी क़ौम की ग़लतियों के साथ उनको सुधारने के तरीक़ों पर बात करते, क्योंकि वो एक आम इंसान से बहतर सोच सकते हैं और अपनी दूर अंदेशी से बहुत से आने वाले ख़तरों से क़ौम को आगाह कर सकते हैं लेकिन उनकी हालत ये है कि उनके पावँ क़ब्र में लटक रहे होते हैं और वो औरत के ज़ुल्फ़ और रुख़सार पर शायरी और अफ़साने लिख कर क़ौम को और गुमराही में मुब्तिला कर रहे होते हैं.. अगर आप उनसे कहें कि आप अपने आख़िरी वक़्त में अपने तजरिबात से क़ौम के लिए कुछ लिखिए तो वो बताएंगे कि इस उम्र में उनके हाथ पावँ काम नहीं करते लेकिन उनकी वो ही उंगलियां सोशल मीडिया पर शागिर्दी के नाम पर ख़्वातीन से चैट करने में बहुत अच्छे से काम करती हैं 😢😢
✍️ #अमीर_मुस्लिम_और_कारोबारी- एक तो मुस्लिमों की माली हालत वैसे ही कमज़ोर है ऊपर से जो अमीर मुसलमान हैं उनमें से ज़्यादातर क़ौम की तरक़्क़ी के लिए कुछ नहीं करते, अगर वो किसी काम में पैसा ख़र्च करते हैं तो उसके पीछे तीन वजहें होती हैं पहली कि वो काम क़ौम में उनका रुतबा, ताक़त और शोहरत दिखाने वाला हो, दूसरी कि उस काम से उनके नाजाइज़ कमाई और तरक़्क़ी के नए ज़रिए, नए रास्ते और नए ताल्लुक़ात पैदा होते हों, और तीसरी कि वो काम उनके लिए ऐश और अय्याशी के आसान सबब पैदा करने वाला हो.. इसलिए आप देखेंगे कि वो क़ौम के किसी होनहार के IAS/PCS बन जाने पर भी उसके लिए एक बहुत कम ख़र्चे में हो जाने वाला सेमिनार रख कर क़ौम के दूसरे लोगों को उस रास्ते से मुतास्सिर करने की पहल नहीं करते लेकिन वो लाखों करोड़ों रुपये ख़र्च कर के मुशायरे, क़व्वाली और डांस प्रोग्राम करा देते हैं, वो स्कूल कॉलेज नहीं बनाते होटल और शादी हॉल बनाते हैं, वो किताबों और इल्म के कारोबार नहीं करते बल्कि फ़ैशन, खाने पीने और गुमराही के कामों में पैसा लगाते हैं, वो अपने यहाँ मुस्लिम लड़कों को तो नौकरी पर रख लेते हैं लेकिन मुस्लिम लड़कियों को नहीं क्योंकि किसी मुस्लिम लड़की से अपनी ख़्वाहिशात पूरी करने में उनको अपने और उसके मुसलमान होने का लिहाज़ करना पड़ जाता है इसलिए अक्सर मुस्लिम लड़कियाँ ग़ैरों के यहाँ नौकरी करती हैं और वो वहाँ गुमराही व लालच का शिकार हो कर आज मुर्तद हो जाने को अपनी कामयाबी समझ रही हैं 😢😢
✍️ #उलेमा_और_इदारे - ये बेहद अफ़सोस की बात है कि आज हमारे पास ऐसे इस्लामी इदारे और उलेमा बेहद कम हैं जो फ़िरक़ापरस्ती से दूर हैं और सिर्फ़ अल्लाह के दीन और मुसलमानों की फ़लाह बहबूदी के लिए काम कर रहे हैं वर्ना 80% इदारे और फ़र्ज़ी उलेमा दीन के नाम पर मुसलमानों को आपस में लड़ाने और एक दूसरे को जहन्नमी साबित करने में लगे हैं.. और ऐसा इसलिए हो रहा है कि अल्लाह ने अपने जिस दीन की शुरुआत ही इक़रा(पढ़ो) से की थी हमने उस दीन को सिर्फ़ सुनने वाला दीन बना दिया और हम जो सुनते हैं उसके भी सही या ग़लत को जानने के लिए अल्लाह के कलाम और हुक्मों को नहीं पढ़ते.. जो फ़र्ज़ी उलेमा अपने अपने पीछे खड़े लाखों करोड़ों लोगों को अपने फ़िरके के अफ़ज़ल और हक़ पर होने की घुट्टी पिला कर मुसलमानों को एक दूसरे का दुश्मन बन देते हैं वो ही उलेमा आपस में बैठ कर किसी मसले पर खामोशी से चंद दूसरे उलेमा को मुतमईन करने की पहल कभी नहीं करते बल्कि वो कभी बात करते हैं तो मुनाज़िरे की शक्ल में दीन को एक खेल की तरह इस्तेमाल कर के एक दूसरे को हराने का खेल खेलते हैं और अल्लाह के दीन का मज़ाक़ बना कर मुसलमानों के दरम्यान और ज़्यादा दुश्मनी पैदा कर देते हैं
✍️ #लिबरल_मॉडर्न_मुसलमान- वैसे तो इस्लाम के मानने वाले सिर्फ़ मुसलमान कहलाते हैं लेकिन आजकल आपको बहुत से पढ़े लिखे व अमीर मॉडर्न मुसलमान मिल जाएंगे और इनके मॉडर्न होने की पहचान ये है कि इनके यहाँ इस्लाम में बताया गया कोई भी हराम अमल हलाल साबित किया जा सकता है, ये मुसलमानों की हर बुराई और नाकामी के लिए उलमाए दीन, मदारिस, इस्लामी रिवायात, नमाज़ी, और जमाती लोगों को क़ुसूरवार ठहराते मिलेंगे, इनकी नज़र में दीन की पावंदी हर पिछड़ेपन की वजह होती है.. ये लोग दूसरों में खामियाँ और ऐब निकालने में सबसे आगे होते हैं लेकिन क़ौम के लिए किया गया एक अमल भी इनके पास नहीं होता बल्कि ये बेहद ख़ुद परस्त होते हैं और इस्लाम और कमज़ोर मुसलमानों को बुरा बता कर ख़ुद को अच्छा साबित करने में लगे रहते हैं और ये बाक़ी क़ौम को नीचा दिखाने से अलग कभी क़ौम के काम नहीं आते, इसलिए मॉडर्न मुसलमानों और यहूदियों में कोई बहुत बड़ा फ़र्क़ नहीं होता
✍️ #मुस्लिम_ख़्वातीन- बेशक आज हिंदुस्तानी मुस्लिम ख़्वातीन से दीन ख़ात्मे की कगार पर आ पहुंचा है और इसके ज़िम्मेदारा मुस्लिम मर्द ही हैं, लेकिन जिस तरह से आज मुस्लिम लड़कियाँ तारीख़ के बदतरीन ज़ालिमों और अपनी ही क़ौम के क़ातिलों की तरफ़ भाग रही हैं वो इंसानी अक़्ल और समझ के तमाम दायरों से बाहर की बात है.. आज ज़्यादातर मुस्लिम ख़्वातीन के लिए अपनी औलादों की इस्लामी तरबियत न होना कोई फ़िक्र की बात नहीं है क्योंकि आज की ख़्वातीन को मोबाइल, टीवी, फैशन और नाच गाने से फ़ुर्सत ही नहीं है, दीन से औरतों की दूरी का ये नतीजा है कि न आज की नई नस्ल को इस्लामी परवरिश मिल पा रही है, न रिश्तों में मुहब्बत है, न एक दूसरे की इज़्ज़त और फ़िक्र है, न अपने फ़र्ज़ का इल्म क्योंकि इस नस्ल की बिना इस्लामी परवरिश वाली बुनियाद इतनी खोखली है कि इनको अगर कोई फ़िक्र है तो वो सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी के ऐशो आराम और अपनी ख़्वाहिशों के किसी भी हराम हलाल ज़रिये से पूरा कर लेने भर की, इसलिए इस नस्ल के लिए न आख़िरत, न दीन, कोई मायने रखता है ना क़ौम, न रिश्ते, न उनके फ़र्ज़ 😢😢 और क़ौम की बुनियाद इन ख़्वातीन का आज दीन से ख़ाली होते जाना मुसलमानों की अगली नस्लों की तबाही की ज़मानत है
✍️ #मुस्लिम_सियासतदां- मुस्लिम सियासतदानों को समझना हो तो सिर्फ़ एक जुमला ही काफ़ी है कि वो क़ौम की हमदर्दी का सहारा ले कर सियासत की बुलंदी तक पहुंचते हैं और फिर उस बुलंदी तक किसी दूसरे मुसलमान को न आने देने के लिए क़ौम को पीछे धकेलते रहते हैं, इसलिए ये सियासतदां न कभी क़ौम के सच्चे रहबर बन पाए हैं न कभी बन पाएंगे.. सियासत की शुरुआत में इनके लिए क़ौम का दर्द उफ़ान पर होता है लेकिन थोड़ा सा कामयाब होते ही इनकी अना और रुतबा इसके लिए सब कुछ बन जाता है इसलिए ये बुलंदी पर पहुंच कर भी क़ौम को लालच के टुकड़े तो डालते रहते हैं लेकिन क़ौम की तरक़्क़ी के रास्ते कभी हमवार नहीं करते जिस से कोई दूसरा मुसलमान इनके क़द के बराबर न आ सके😢😢
👉 अब जिस क़ौम के पास हर मोर्चे पर इतने ग़ैर ज़िम्मेदार लोग मौजूद हों तो क्या उस क़ौम को सिर्फ़ दूसरों को साजिशों का मुजरिम बताने भर से इज़्ज़त और कामयाबी मिलने की उम्मीद की जा सकती है.. बल्कि हालात ये बता रहे हैं कि अगर हमने आज भी अपनी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से नहीं निभाई तो हिंदुस्तानी मुसलमानों
28/10/2021
मुसलमान "हुनूद" को खू"न देंगे
मुसलमान "हुनूद" को लाकडाउन में हर तरह से मदद करेंगे,
मुसलमान " हुनूद" को लोकसभा, विधानसभा में वोट करेंगे
लेकिन अफ़सोस
"हुनूद" फिर भी हम मुसलमानों के लिए अपने दिलों में नफ़रत रखेंगे
इनको तकलीफ़ हमारी नमाज़ से, मस्जिदों से, इनको नफ़रत इस्लाम से, इनको नफ़रत मुसलमानों से
27/10/2021
डियर भारत की धर्मनिरपेक्ष हिन्दू अवाम और धर्मनिरपेक्ष हिन्दू नेता।
त्रिपुरा में मुसलमानों का नरसंहार हो रहा है। उनके घरों, दुकानों और मसाजिदों को जलाया जा रहा है। हिंदूवादी आतंकियों का आतंक पिछले एक हफ्ते से जारी है।
आप इस हिंदुत्वा आतंक पर मौन क्यों हैं?
21/10/2021
उच्च जाति का मरे तो
40 लाख का मुआवजा और नौकरी
दलित मरे तो 10 लाख का मुआवजा और नौकरी
मुसलमान मरे तो कोई मुआवजा नहीं कोई नौकरी नही
मुसलमान अगर न्याय मांगे तो पूरे खानदान की जाँच और NSA की धमकी दी जाती है
बात विपक्ष और सेकुलर और सेकुलरिज्म के ठेकेदारों की
Akhilesh Yadav Mayawati
Rahul Gandhi Priyanka Gandhi Vadra
ये 👆 लोग खुद को सेकुलर कहते हैं लेकिन सेकुलरिज्म से इनका कोई वास्ता नहीं है इनसे बड़ा संघी कोई नहीं है
धर्म देखकर इनका मुंह खुलता है धर्म देखकर मुआवजे की बात करते हैं धर्म देखकर इंसाफ की बात करते हैं
मुसलमानों से इनका कोई वास्ता नहीं है इनको सिर्फ मुसलमानों का वोट चाहिए
बाकी मुसलमानों को बरगला कर वोट कैसे हासिल करना है इसके लिए तीतर पाल रखे हैं
Samajwadi Party के चतुर तीतर Abu Asim Azmi
Indian National Congress के नायाब तीतर Imran Pratapgarhi
उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां शुरू हो चुकी हैं यह मुस्लिम वोटरों के सौदागर लोग टोपी लगाकर मुस्लिम बस्तियों में आएंगे और मुसलमानों को बेवकूफ बनाएंगे ना शिक्षा की बात होगी ना स्वास्थ्य की बात होगी ना हिस्सेदारी की बात हो गई
बात होगी तो मुशायरे की बात होगी
बात होगी तो इफतार पार्टी की होगी
बात होगी तो भाजपा को हराने की बात होगी
और मुसलमान इन मक्कारों के झांसे में आकर इन झूठे तथाकथित सेकुलर लोगों को भर भर के वोट दे देगा
इसीलिए मुसलमानों का हालत नहीं बदल रहा है
और मुसलमान अपने इस हालत का खुद जिम्मेदार हैं