Arogyadev Vedic Science Foundation

Our mission to create global awereness about the benefits of AGNIHOTRA (YAGYA/HAVAN) and YOGA.

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19/02/2023

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देश में एक ऐसा वर्ग बन गया है जो कि संस्कृत भाषा से तो शून्य हैं परंतु उनकी छद्म धारणा यह बन गयी है कि संस्कृत भाषा में जो कुछ भी लिखा है वे सब पूजा पाठ के मंत्र ही होंगे जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है।

देखते हैं -

"चतुरस्रं मण्डलं चिकीर्षन्न् अक्षयार्धं मध्यात्प्राचीमभ्यापातयेत्।
यदतिशिष्यते तस्य सह तृतीयेन मण्डलं परिलिखेत्।"

बौधायन ने उक्त श्लोक को लिखा है !
इसका अर्थ है -

यदि वर्ग की भुजा 2a हो
तो वृत्त की त्रिज्या r = [a+1/3(√2a – a)] = [1+1/3(√2 – 1)] a
ये क्या है ?

अरे ये तो कोई गणित या विज्ञान का सूत्र लगता है

शायद ईसा के जन्म से पूर्व पिंगल के छंद शास्त्र में एक श्लोक प्रकट हुआ था।हालायुध ने अपने ग्रंथ मृतसंजीवनी मे , जो पिंगल के छन्द शास्त्र पर भाष्य है ,
इस श्लोक का उल्लेख किया है -

परे पूर्णमिति।
उपरिष्टादेकं चतुरस्रकोष्ठं लिखित्वा तस्याधस्तात् उभयतोर्धनिष्क्रान्तं कोष्ठद्वयं लिखेत्।
तस्याप्यधस्तात् त्रयं तस्याप्यधस्तात् चतुष्टयं यावदभिमतं स्थानमिति मेरुप्रस्तारः।
तस्य प्रथमे कोष्ठे एकसंख्यां व्यवस्थाप्य लक्षणमिदं प्रवर्तयेत्।
तत्र परे कोष्ठे यत् वृत्तसंख्याजातं तत् पूर्वकोष्ठयोः पूर्णं निवेशयेत्।

शायद ही किसी आधुनिक शिक्षा में maths मे B. Sc. किये हुए भारतीय छात्र ने इसका नाम भी सुना हो , जबकि यह "मेरु प्रस्तार" है।
परंतु जब ये पाश्चात्य जगत से "पास्कल त्रिभुज" के नाम से भारत आया तो उन कथित सेकुलर भारतीयों को शर्म इस बात पर आने लगी कि भारत में ऐसे सिद्धांत क्यों नहीं दिये जाते।


"चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्।
अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥"

ये भी कोई पूजा का मंत्र ही लगता है लेकिन ये किसी गोले के व्यास व परिध का अनुपात है। जब पाश्चात्य जगत से ये आया तो संक्षिप्त रुप लेकर आया ऐसा π जिसे 22/7 के रुप में डिकोड किया जाता है।

उक्त श्लोक को डिकोड करेंगे अंकों में तो कुछ इस तरह होगा-
(१०० + ४) * ८ + ६२०००/२०००० = ३.१४१६

ऋगवेद में π का मान ३२ अंक तक शुद्ध है।

गोपीभाग्य मधुव्रातः श्रुंगशोदधि संधिगः |
खलजीवितखाताव गलहाला रसंधरः ||

इस श्लोक को डीकोड करने पर ३२ अंको तक π का मान 3.1415926535897932384626433832792… आता है।


*#चक्रीय_चतुर्भुज का क्षेत्रफल 😗

_*" 🤨 ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त के गणिताध्याय के क्षेत्रव्यवहार के श्लोक १२.२१ में निम्नलिखित श्लोक वर्णित है :-*_

*"स्थूल-फलम्:-* _*" 😌 त्रि-चतुर्-भुज-बाहु-प्रतिबाहु-योग-दल-घातस् ।*_
_*भुज-योग-अर्ध-चतुष्टय-भुज-ऊन-घातात् पदम् सूक्ष्मम् ॥ 🤨 "*_

*अर्थ:-*

_*" 😷 त्रिभुज और चतुर्भुज का स्थूल (लगभग) क्षेत्रफल उसकी आमनेँ-सामनें की भुजाओं के योग के आधे के गुणनफल के बराबर होता है तथा सूक्ष्म (exact) क्षेत्रफल भुजाओं के योग के आधे में से भुजाओं की लम्बाई क्रमशः घटाकर और उनका गुणा करके वर्गमूल लेने से प्राप्त होता है। "*_

*#ब्रह्मगुप्त_प्रमेय:-*

_*🤨 चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण यदि लम्बवत हों तो उनके कटान बिन्दु से किसी भुजा पर डाला गया लम्ब सामने की भुजा को समद्विभाजित करता है। "*_

*🤨 ब्रह्मगुप्त ने श्लोक में कुछ इस प्रकार अभिव्यक्त किया है 😗

_*" 😷 त्रि-भ्जे भुजौ तु भूमिस् तद्-लम्बस् लम्बक-अधरम् खण्डम् ।*_
_*ऊर्ध्वम् अवलम्ब-खण्डम् लम्बक-योग-अर्धम् अधर-ऊनम् ॥ 😌 "*_
_(ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, गणिताध्याय, क्षेत्रव्यवहार )_ (१२.३१)


_#वर्ग_समीकरण का व्यापक सूत्र:-_

*ब्रह्मगुप्त का सूत्र इस प्रकार है 😗

_*" 😷 वर्गचतुर्गुणितानां रुपाणां मध्यवर्गसहितानाम् । मूलं मध्येनोनं वर्गद्विगुणोद्धृतं मध्यः ॥ 🤨 "*_
_ब्राह्मस्फुट-सिद्धांत - 18.44_

*अर्थात 😗

_*" 😷 व्यक्त रुप (c) के साथ अव्यक्त वर्ग के चतुर्गुणित गुणांक (4ac) को अव्यक्त मध्य के गुणांक के वर्ग (b²) से सहित करें या जोड़ें। इसका वर्गमूल प्राप्त करें तथा इसमें से मध्य अर्थात b को घटावें। 😌 "*_
_*" 😷 पुनः इस संख्या को अज्ञात ञ वर्ग के गुणांक (a) के द्विगुणित संख्या से भाग देवें। प्राप्त संख्या ही अज्ञात "त्र" राशि का मान है। 😌 "*_

_*🙏 श्रीधराचार्य नें इस बहुमूल्य सूत्र को भास्कराचार्य का नाम लेकर अविकल रुप से उद्धृत किया :—*_

_*" 😊 चतुराहतवर्गसमैः रुपैः पक्षद्वयं गुणयेत् ।*_
_*अव्यक्तवर्गरूपैर्युक्तौ पक्षौ ततो मूलम् ॥ 😌 "*_
-- भास्करीय बीजगणित, अव्यक्त-वर्गादि-समीकरण, पृ. - 221

*अर्थात 😗

_*" 👨‍🌾 प्रथम अव्यक्त वर्ग के चतुर्गुणित रूप या गुणांक (4a) से दोनों पक्षों के गुणांको को गुणित करके द्वितीय अव्यक्त गुणांक (b) के वर्गतुल्य रूप दोनों पक्षों में जोड़ें। पुनः द्वितीय पक्ष का वर्गमूल प्राप्त करें।☺️ "*_

_*#आर्यभट्ट की ज्या (Sine) सारणी:*_

*आर्यभटीय का निम्नांकित श्लोक ही आर्यभट की ज्या-सारणी को निरूपित करता है:-*

_*" 😷 मखि भखि फखि धखि णखि ञखि ङखि हस्झ स्ककि किष्ग श्घकि किघ्व ।*_
_*घ्लकि किग्र हक्य धकि किच स्ग झश ङ्व क्ल प्त फ छ कला-अर्ध-ज्यास् ॥ 😎 "*_

_#माधव की ज्या सारणी:-_

_*" 👇 निम्नांकित श्लोक में माधव की ज्या सारणी दिखायी गयी है। जो चन्द्रकान्त राजू द्वारा लिखित 'कल्चरल फाउण्डेशन्स आफ मैथमेटिक्स' नामक पुस्तक से लिया गया है। 👨‍🌾 "*_

_*" 😷 श्रेष्ठं नाम वरिष्ठानां हिमाद्रिर्वेदभावनः।*_
_*तपनो भानुसूक्तज्ञो मध्यमं विद्धि दोहनं।।*_
_*धिगाज्यो नाशनं कष्टं छत्रभोगाशयाम्बिका।*_
_*म्रिगाहारो नरेशोऽयं वीरोरनजयोत्सुकः।।*_
_*मूलं विशुद्धं नालस्य गानेषु विरला नराः।*_
_*अशुद्धिगुप्ताचोरश्रीः शंकुकर्णो नगेश्वरः।।*_
_*तनुजो गर्भजो मित्रं श्रीमानत्र सुखी सखे!।*_
_*शशी रात्रौ हिमाहारो वेगल्पः पथि सिन्धुरः।।*_
_*छायालयो गजो नीलो निर्मलो नास्ति सत्कुले।*_
_*रात्रौ दर्पणमभ्राङ्गं नागस्तुङ्गनखो बली।।*_
_*धीरो युवा कथालोलः पूज्यो नारीजरैर्भगः।*_
_*कन्यागारे नागवल्ली देवो विश्वस्थली भृगुः।।*_
_*तत्परादिकलान्तास्तु महाज्या माधवोदिताः।*_
_*स्वस्वपूर्वविशुद्धे तु*_ _*शिष्टास्तत्खण्डमौर्विकाः।। 👨‍🌾 "*_ (२.९.५)


_#संख्या_रेखा की परिकल्पना (कॉन्सेप्ट्)_

_*" एकप्रभृत्या परा ऽ र्ध संख्या स्वरूप परिज्ञानाय रेखा ऽ ध्यारोपणं कृत्वा एकेयं रेखा दशेयं, शतेयं, सहस्रेयं इति ग्राहयति, अवगमयति, संख्यास्वरूम, केवलं, न तु संख्याया: रेखातत्त्वमेव।"*_
_Brhadaranyaka Aankarabhasya (4.4.25)_

*👉 जिसका अर्थ है- 👉*

_" 👨‍🌾 1 unit, 10 units, 100 units, 1000 units etc. up to parardha can be located in a number line. Now by using the number line one can do operations like addition, subtraction and so on. 😷 "_

_*" 🤨 ये तो कुछ नमूनें हैं ; जो ये दर्शानें के लिये दिया गया है कि संस्कृत ग्रंथो में केवल पूजा पाठ या आरती के मंत्र नहीं है बल्कि तमाम विज्ञान भरा पड़ा है। 😌 "*_

_*" 😷 दुर्भाग्य से कालांतर में व विदेशी आक्रांताओं के चलते संस्कृत का ह्रास होने के कारण हमारे पूर्वजों के ज्ञान का भावी पीढ़ी द्वारा विस्तार नहीं हो पाया और बहुत से ग्रंथ आक्रांताओं द्वारा नष्ट भ्रष्ट कर दिए गए । 😌 "*_

*🙏✍️ वन्दे संस्कृत मातरम्🇮🇳🙏🏼*

05/02/2023

जिस देश में रोगप्रतिरोधक क्षमता,शक्ति बढ़ाने के लिए अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली,गोखरू,दालचीनी,कौंच बीज,जायफल, छोटी पिपली,विदारीकंद, इलायची,वंशलोचन, बला बीज,जावित्री जैसी सैकड़ो औषधियां हो वहां पर लोग केमिकल वाली व बासी चीजे खाये तो ये आधुनिकता,विज्ञान नही पिछड़ापन व अज्ञानता हैं। आयुर्वेद की ओर लौटे, ऋषियों की बात माने।

04/01/2023

AROGYADEV Corporate Yoga & Wellness Event -India's most holistic Health and Wellness offering-
In today's highly interconnected global economy, employees spend a large portion of their time in their offices. An unhealthy, unhappy employee will lead to inefficiencies, which directly affect your organization's outputs. Ensuring a company invests in the wellbeing of its people is one of the primary purposes of the People function.
As an employee advocate, HR should focus on keeping workers motivated, engaged, and happy. The key to achieving this is prioritizing employee health. When done well, these employee wellness programs can lead to an 80% improvement in organizational performance.

👉Improve Employee Health and Wellness
👉Improve Employee Engagement
👉Enhance Mental Wellness
👉Boost Productivity
👉Build Team Spirit
👉Better Work culture

With Regards
Yogachary Rajeev Kumar
Corporate Yoga & Wellness Speaker
9758774005
[email protected]
www.arogyadev.com

31/12/2022

नये कैलेंडर की शुभकामनायें 🙏
22 मार्च -चैत्र के शुक्ल प्रतिपदा को ही सनातन नववर्ष है!

24/09/2022

AROGYADEV Corporate Yoga & Wellness Event -
India's most holistic Health and Wellness offering-
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*Yogachary Rajeev Kumar*
Corporate Yoga & Wellness Speaker
9858774005
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www.arogyadev.com

27/08/2022

When you listen to yourself, everything comes naturally. It comes from inside, like a kind of will to do something. Try to be sensitive. That is yoga.

Arogyadev 19/08/2022

Arogyadev

🙏🙏🙏EXCELLENT INFO ABOUT SRI KRISHNA

1) Krishna was born *5252 years ago*
2) Date of *Birth* : *18 th July,3228 B.C*
3) Month : *Shravan*
4) Day : *Ashtami*
5) Nakshatra : *Rohini*
6) Day : *Wednesday*
7) Time : *00:00 A.M.*
8) Shri Krishna *lived 125 years, 08 months & 07 days.*
9) Date of *Death* : *18th February 3102BC.*
10) When Krishna was *89 years old* ; the mega war *(Kurukshetra war)* took place.
11) He died *36 years after the Kurukshetra* war.
12) Kurukshetra War was *started on Mrigashira Shukla Ekadashi, BC 3139. i.e "8th December 3139BC" and ended on "25th December, 3139BC".*
12) There was a *Solar eclipse between "3p.m to 5p.m on 21st December, 3139BC" ; cause of Jayadrath's death.*
13) Bhishma died on *2nd February,(First Ekadasi of the Uttarayana), in 3138 B.C.*

14) Krishna is worshipped as:
(a)Krishna *Kanhaiyya* : *Mathura*
(b) *Jagannath*:- In *Odisha*
(c) *Vithoba*:- In *Maharashtra*
(d) *Srinath*: In *Rajasthan*
(e) *Dwarakadheesh*: In *Gujarat*
(f) *Ranchhod*: In *Gujarat*
(g) *Krishna* : *Udupi in Karnataka*
h) *Guruvayurappan in Kerala*

15) *Bilological Father*: *Vasudeva*
16) *Biological Mother*: *Devaki*
17) *Adopted Father*:- *Nanda*
18) *Adopted Mother*: *Yashoda*
19 *Elder Brother*: *Balaram*
20) *Sister*: *Subhadra*

21) *Birth Place*: *Mathura*

22) *Wives*: *Rukmini, Satyabhama, Jambavati, Kalindi, Mitravinda, Nagnajiti, Bhadra, Lakshmana*

23) Krishna is reported to have *Killed only 4 people* in his life time.
(i) *Chanoora* ; the Wrestler
(ii) *Kamsa* ; his maternal uncle
(iii) & (iv) *Shishupaala and Dantavakra* ; his cousins.

24) Life was not fair to him at all. His *mother* was from *Ugra clan*, and *Father* from *Yadava clan,* inter-racial marriage.

25) He was *born dark skinned.* He was not named at all throughout his life. The whole village of Gokul started calling him the black one ; *Kanha*. He was ridiculed and teased for being black, short and adopted too. His childhood was wrought with life threatening situations.

26) *'Drought' and "threat of wild wolves" made them shift from 'Gokul' to 'Vrindavan' at the age 9.*

27) He stayed in Vrindavan *till 14~16 years*. He killed his own uncle at the age of 14~16 years at Mathura.He then released his biological mother and father.

28) He *never returned to Vrindavan ever again.*

29) He had to *migrate to Dwaraka from Mathura due to threat of a Sindhu King ; Kala Yaavana.*

30) He *defeated 'Jarasandha' with the help of 'Vainatheya' Tribes on Gomantaka hill (now Goa).*

31) He *rebuilt Dwaraka*.

32) He then *left to Sandipani's Ashram in Ujjain* to start his schooling at age 16~18.

33) He had to *fight the pirates from Afrika and rescue his teachers son ; Punardatta*; who *was kidnapped near Prabhasa* ; a sea port in Gujarat.

34) After his education, he came to know about his cousins fate of Vanvas. He came to their rescue in ''Wax house'' and later his cousins got married to *Draupadi.* His role was immense in this saga.

35) Then, he helped his cousins establish Indraprastha and their Kingdom.

36) He *saved Draupadi from embarrassment.*

37) He *stood by his cousins during their exile.*

38) He stood by them and *made them win the Kurushetra war.*

39) He *saw his cherished city, Dwaraka washed away.*

40) He was *killed by a hunter (Jara by name)* in nearby forest.

41) He never did any miracles. His life was not a successful one. There was not a single moment when he was at peace throughout his life. At every turn, he had challenges and even more bigger challenges.

42) He *faced everything and everyone with a sense of responsibility and yet remained unattached.*

43) He is the *only person, who knew the past and probably future ; yet he lived at that present moment always.*

44) He and his life is truly *an example for every human being.*
🙏🏼जब श्री कृष्ण🙏🏼

Yogachary Rajeev Kumar
www.arogyadev.com

Arogyadev What is Corporate Yoga & Wellness In today's highly interconnected global economy, employees spend a large portion of their time in their offices. An unhealthy, unhappy employee will lead to inefficiencies, which directly affect your organization's outputs. Ensuring a company invests in the wellbein...

27/05/2022

आइए जानते हैं हमारे शरीर के बारे में...

एक संपूर्ण जीवन 120 वर्ष का स्वस्थ जीवन है।

एक पीढ़ी यानी 33 साल।

मानव चेहरे में 14 हड्डियाँ होती हैं।

मानव मस्तिष्क में 6 ग्राम तांबा होता है।

मनुष्य के शरीर में शिराओं की कुल लंबाई लगभग 72 मीटर होती है।

हमारा खून एक दिन में 30 करोड़ ग्राम है। मी यात्रा कर रहा है।

फेफड़े दिन में 23,040 बार श्वास लेते हैं।

हमारा दिल दिन में 1,03,689 बार धड़कता है।

मानव जीभ का स्वाद जानने वाली कोशिकाओं की संख्या तीन हजार है।

शरीर में बिजली का आकार 25 वाट है।

एक औसत व्यक्ति के शरीर में बहने वाले रक्त की मात्रा 5 लीटर होती है।

उंगलियों के निशान की तरह ही जीभ पर रेखाएं सभी के लिए अलग-अलग होती हैं।

जीभ वह हिस्सा है जहां मानव शरीर में मांसपेशियों का दबाव अधिक होता है।

नेत्रदान में दूसरों को केवल काली आंखें ही लगाई जाती हैं।

मानव शरीर में 900 पेंसिल का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त कार्बन पोषक तत्व हैं।

उंगलियों के नाखून मानव शरीर का सबसे मजबूत अंग होते हैं। इसमें केराटिन होता है, जो गैंडे के सींगों में पाया जाता है।
मरने के बाद भी इंसान के नाखूनों को कुछ नहीं होता...

चमत्कारों से भरा मानव शरीर...

जब एक आदमी सो रहा होता है, तो उसकी ऊंचाई 8 मिमी बढ़ जाती है, और जागने के बाद, वह फिर से पुराना हो जाएगा।

यह वैश्विक गुरुत्वाकर्षण के कारण हड्डियों पर दबाव के कारण होता है जब मनुष्य बैठता है या खड़ा होता है।

रक्त वाहिकाएं, कोशिकाएं:-

1. हमारे शरीर के वजन का 14% हड्डियाँ और 7% रक्त होता है।

2. फेफड़ों में 300,00 मिलियन रक्त वाहिकाएं होती हैं। अगर इन सभी को मिला दिया जाए तो लंबाई 2400 किलोमीटर हो जाएगी।

3. हर किडनी में एक लाख फिल्टर होते हैं। ये प्रति मिनट 1.3 लीटर खून को फिल्टर करते हैं। एक और दिन में 1.4 लीटर पेशाब निकल जाता है।

4. एक आदमी की एक अनोखी रक्त कोशिका पूरे शरीर में घूमने में 60 सेकंड का समय लेती है।

5. मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका स्त्री का काला अंडा होता है, सबसे छोटी कोशिका नर शुक्राणु होती है।

6. हमारे शरीर में रक्त वाहिकाओं की लंबाई लगभग 600,000 मील होती है। यानी हम इस दूरी में दो बार दुनिया की यात्रा कर सकते हैं।

माँसपेशियाँ :-

1. आंख की मांसपेशियां दिन में 100,000 बार चलती हैं, अगर आप अपने पैरों को वही काम देना चाहते हैं, तो आपको रोजाना 80 किलोमीटर चलना होगा।

2. मनुष्य को एक कदम बढ़ाने के लिए 200 मांसपेशियों का उपयोग किया जाता है।

पैर :-

1. पैर की उंगलियों में दो हड्डियां होती हैं, लेकिन दूसरी उंगलियों में प्रत्येक में तीन हड्डियां होती हैं।

2. अंगूठे की लंबाई और नाक की लंबाई बराबर होती है।

3. मानव पैरों में एक ट्रिलियन तक बैक्टीरिया होते हैं।

आंखें :-

हमारी आंखों का वजन औसतन 28 ग्राम है, और इसमें प्रकाश के 500 तरीकों को अलग करने की शक्ति है।

दिमाग :-

1. मानव मस्तिष्क में लगभग 100 अरब तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं, 35 वर्ष की आयु से प्रतिदिन 7000 तंत्रिका कोशिकाएं मर जाती हैं।

2. हम जितनी भी सांस लेते हैं उसमें से 20 प्रतिशत ऑक्सीजन दिमाग में जाती है।

3. हमारे दिमाग में 80% पानी होता है और हमारे दिमाग की कार्यक्षमता दिन की तुलना में रात में ज्यादा होती है।

मौत :-

मनुष्य के मरने के बाद अंगों के अपने कार्य को खोने का समय

आंखें - 31 मिनट
मस्तिष्क - 10 मिनट
पैर - 4 घंटे
मांसपेशियां - 5 दिन
दिल - चंद मिनट

06/05/2022

स्कंद पुराण में एक सुंदर श्लोक है:
अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्
न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्।
कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च
पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।

अश्वत्थः = पीपल (100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
पिचुमन्दः = नीम (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
न्यग्रोधः = वटवृक्ष(80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
चिञ्चिणी = इमली (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
कपित्थः = कविट (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
बिल्वः = बेल(85% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
आमलकः = आवला(74% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
आम्रः = आम (70% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
(उप्ति = पौधा लगाना)

अर्थात्:- जो कोई इन वृक्षों के पौधो का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नही करने पड़ेंगे।
इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस परिस्थिति के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं।
अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं।
औऱ
गुलमोहर, निलगिरी- जैसे वृक्ष अपने देश के पर्यावरण के लिए घातक हैं।

पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हम ने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है।

पीपल, बड और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है

ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है साथ ही धरती के तापनाम को भी कम करते है।

हमने इन वृक्षों के पूजने की परंपरा को अन्धविश्वास मानकर फटाफट संस्कृति के चक्कर में इन वृक्षो से दूरी बनाकर यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष सड़क के दोनों ओर लगाने की शुरूआत की। यूकेलिप्टस झट से बढ़ते है लेकिन ये वृक्ष दलदली जमीन को सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से धरती का जलस्तर घट जाता है। विगत ४० वर्षों में नीलगिरी के वृक्षों को बहुतायात में लगा कर पर्यावरण की हानि की गई है।

शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है!

मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।

भावार्थ-जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी, तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर सभी देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को नमस्कार है🙏

आगामी वर्षों में प्रत्येक ५०० मीटर के अंतर पर यदि एक एक पीपल, बड़ , नीम आदि का वृक्षारोपण किया जाएगा, तभी अपना भारत देश प्रदूषणमुक्त होगा।

घरों में तुलसी के पौधे लगाना होंगे।

हम अपने संगठित प्रयासों से ही अपने "भारत" को नैसर्गिक आपदा से बचा सकते है।

भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है।

आइए हम पीपल ,बड़, बेल ,नीम ,आंवला एवं आम आदि वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं "सुजलां सुफलां पर्यावरण" देने का प्रयत्न करें!
🙏🕉️🚩

09/04/2022

सबसे पहले तो यज्ञ कुंड उसी आकार और परिमाण का होना चाहिए जैसी की शास्त्रों में बताया गया है । यानी कि ऊपर का चौकोर ( Square ) नीचे के चौकोर से चार गुना चौड़ा होना चाहिए । उदाहरण :- जैसे कि ऊपर का चौकोर यदि 16" x 16" है तो नीचे का 4" x 4" होना चाहिए और ये यज्ञ कुंड उतना ही गहरा यानी कि 16" होना चाहिए । यज्ञकुंड के इस आकार को गणित में Frustrum Square Pyramid भी कहा जाता है । इससे अलग परिमाण में बना हुआ यज्ञकुंड सही नहीं माना जाता ।
यज्ञकुंड सबसे सर्वोत्तम तो मिट्टी का ही माना गया है जिसकी लिपाई देसी गाँय के गोबर से होती रहे । क्योंकि इस यज्ञकुंड में किए गए यज्ञ से चारों ओर सुगँध का प्रभाव अति तीव्र होचा है जो कि अन्य धातु निर्मित यज्ञकुंड से नहीं होता । यद्यपि धातु के यज्ञकुंड का निर्माण भी किया जा सकता है जो कि बाजार में मिलते हैं । धातु के यज्ञकुंड में चीकनी मिट्टी पोत लेनी चाहिए जिससे कि उससे वही सारे लाभ मिलें जो कि मिट्टी के यज्ञकुंड से मिलते हैं ।
यज्ञकुंड का निर्माण भी यज्ञ के प्रकारों के अनुसार ही करना चाहिए । जैसे अकेले दैनिक यज्ञ करने के लिये छोटा यज्ञकुंड, घर के सदस्यों के साथ करने के लिये थोड़ा बड़े आकार का और बहुत बड़े यज्ञ जैसे कि चतुर्वेद परायण यज्ञ आदि के करने के लिये बड़े यज्ञकुंडों का निर्माण आवश्यक्ता के अनुसार करवा लेना चाहिए । यज्ञकुंड के आकार के अनुसार ही उसमें ईंधन का व्यय होता है ।

09/04/2022

गुरुकुल नारंगपुर की बालिकाओं द्वारा भजन प्रस्तुति...

06/04/2022

अनुसन्धान

23/01/2022

#23जनवरीपराक्रमदिवस #योगाचार्यराजीव #शुभाषचंद्रबोस

24/12/2021
11/12/2021
Photos from Arogyadev Vedic Science Foundation's post 02/12/2021

#शिखा_सूत्र_का_वैदिक_विज्ञान

सिर के ऊपरी भाग को ब्रह्मांड कहा गया है और सामने के भाग को कपाल प्रदेश। कपाल प्रदेश का विस्तार ब्रह्मांड के आधे भाग तक है। दोनों की सीमा पर मुख्य मस्तिष्क की स्थिति समझनी चाहिए।

ब्रह्मांड का जो केन्द्रबिन्दु है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। ब्रह्मरंध्र में सुई की नोंक के बराबर एक छिद्र है जो अति महत्वपूर्ण है। सारी अनुभूतियां, दैवी जगत् के विचार, ब्रह्मांड में
क्रियाशक्ति और अनन्त शक्तियां इसी ब्रह्मरंध्र से प्रविष्ट
होती हैं। हिन्दू धर्म में इसी स्थान पर चोटी(शिखा) रखने का
नियम है। ब्रह्मरंध्र से निष्कासित होने वाली ऊर्जा शिखा के माध्यम से प्रवाहित होती है ।

वास्तव में हमारी शिखा जहां एक ओर ऊर्जा को प्रवाहित
करती है, वहीं दूसरी ओर उसे ग्रहण भी करती है। वायुमंडल में
बिखरी हुई असंख्य विचार तरंगें और भाव तरंगें शिखा के माध्यम से ही मनुष्य के मस्तिष्क में प्रविष्ट होती हैं। कहने की आवश्यकता नहीं, हमारा मस्तिष्क एक प्रकार से रिसीविंग और ब्रॉडकास्टिंग सेंटर का कार्य शिखारूपी एंटीना या एरियल के माध्यम से करता है। मुख्य मस्तिष्क( सेरिब्रम) के बाद लघु मस्तिष्क(सेरिबेलम) है और ब्रह्मरंध्र के ठीक नीचे अधो मस्तिष्क (मेडुला एबलोंगेटा) की स्थिति है जिसके साथ एक 'मेडुला' नामक अंडाकार पदार्थ संयुक्त है। वह मस्तिष्क के भीतर विद्यमान एक तरल पदार्थ में तैरता रहता है। मेरूमज्जा का अन्त इसी अंडाकार पदार्थ में होता है। यह पदार्थ अत्यन्त रहस्यमय है। आज के वैज्ञानिक भी इसे समझ नहीं सके हैं। बाहर से आने वाली परिदृश्यमान शक्तियां अधो मस्तिष्क से होकर इसी अंडाकार पदार्थ से टकराती हैं और योग्यतानुसार मानवीय विचारों, भावनाओं, अनुभूतियों में
स्वतः परिवर्तित होकर बिखर जाती हैं।

योगसाधना की दृष्टि से मुख्य मस्तिष्क आकाश है। मनुष्य जो
कुछ देखता है, कल्पना करता है, स्वप्न देखता है--यह सारा अनुभव उसको इसी आकाश में करना पड़ता है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

29/10/2021

अग्निहोत्र वायुमंडल में एक विशिष्ट ढंग का प्रभाव उत्पन्न करता है और उसका मानव मन पर चिकित्सकीय (Therapeutic) प्रभाव पड़ता है l उस प्रभाव की आयुर्वेद में स्पष्ट चर्चा मिलती है l

29/10/2021

Agnihotra, the simplest form of 'Yajnya/Homa' performed in many countries all over the world. Although it's an ancient fire ritual, it is based on the scientific aspects. ... It is found that far infrared radiations of sun and that of Agnihotra resonate to generate a huge amount of vital energy useful for life processes.

28/10/2021

Agnihotra, the simplest form of 'Yajnya/Homa' performed in many countries all over the world. Although it's an ancient fire ritual, it is based on the scientific aspects. ... It is found that far infrared radiations of sun and that of Agnihotra resonate to generate a huge amount of vital energy useful for life processes.

17/09/2021

यज्ञ /अग्निहोत्र विज्ञान विषय पर व्याख्यान के लिए संपर्क करें l🙏

11/09/2021

11/09/2021

👉🏻दूध ना पचे तो ~ सोंफ ,
👉🏻दही ना पचे तो ~ सोंठ,
👉🏻छाछ ना पचे तो ~जीरा व काली मिर्च
👉🏻अरबी व मूली ना पचे तो ~ अजवायन
👉🏻कड़ी ना पचे तो ~ कड़ी पत्ता,
👉🏻तैल, घी, ना पचे तो ~ कलौंजी...
👉🏻पनीर ना पचे तो ~ भुना जीरा,
👉🏻भोजन ना पचे तो ~ गर्म जल
👉🏻केला ना पचे तो ~ इलायची
👉🏻ख़रबूज़ा ना पचे तो ~ मिश्री का उपयोग करें...
1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. हाई वी पी में - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. लो बी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
6. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी ।
8. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
10. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
11. जम्भाई- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14. किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।
16. अस्थमा , मधुमेह , कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
21. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23. भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26. चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
27. शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
28. वात के असर में नींद कम आती है ।
29. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
31. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
33. आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35. प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
36. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41. भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
46. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52. पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53. छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61. दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62. गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।
63. जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64. गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
65. गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66. मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
69. भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
75. बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
79. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80. शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
83. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
84. एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 . रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
87 . छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89. बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
91. गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
92. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
93. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए।
95. जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
98 . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके

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गुरुकुल नारंगपुर की बालिकाओं द्वारा भजन प्रस्तुति...
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